Friday, February 27, 2009

मधुमेह, डायबिटीस कारण और निवारण

Diabetese (मधुमेह) उपापचय metabolic व्यतिक्रम के कारण होता है । मधुमेह में शरीर द्वारा insulin नाम का हार्मोन बनाना या तो कम हो जाता है या बंद हो जाता है । Insulin का काम शरीर में शर्करा (sugar), स्टार्च और अन्य भोज्य पदार्थों को उर्जा में बदलना है। इसके बनने में व्यतिक्रम होने से शर्करा, स्टार्च इत्यादी ऊर्जा में नहीं बदल पाते जिससे शरीर में कमजोरी और शर्करा की मात्र में अधिकता हो जाती है।
मधुमेह मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है:
१। टाइप १ - डायबिटीस
२। टाइप २ - डायबिटीस
जेस्तेशनल डायबिटीस

टाइप १ - डायबिटीस और टाइप २ - डायबिटीस
अव्यवस्थित दिनचर्या के कारन होता है जबकि जेस्तेशनल का कारन अन्य परिस्थितियाँ होती हैं मुख्य रूप से गर्भावस्था के समय स्त्रियों में ये देखि गयी है ।
मधुमेह का संपूर्ण रूप से ठीक होना कठिन है किंतु असंभव नहीं है प्राकृतिक चिकित्सा, व्यायाम और उचित आहार संयम से इस पर विजय पाई जा सकती है

कारण: तनाव, अव्यवस्थित दिनचर्या अव्यवस्थित भोजन, मोटापा, इस रोग के मुख्य कारण हैं ।

लक्षण:
मधुमेह के लक्षण इस प्रकार हैं :
१। वजन में उतार चढाव
२। थकान, कमजोरी
३। प्यास का अधिक लगना
४। बार बार पेशाब आना
५। नेत्र द्रष्टि कमजोर होना
६। चोट घाव का देर से ठीक होना
७। चिडचिडापन होना

मधुमेह का सही समय में इलाज न करने से बहुत सी अन्य बीमारियाँ होने की सम्भावना होती है :
१। किडनी में खराबी
२| नेत्र द्रष्टि दोष
३| ह्रदय रोग
४| कमजोरी

निवारण: मधुमेह के निवारण के लिए अन्य औषधियों के साथ प्राकृतिक चकित्सा लेनी चाहिए ।
और जैसे - जैसे शर्करा स्तर नियंत्रित होने लगे पुरी तरह प्राकृतिक चिकित्सा, भोजन संयम और हलके व्यायाम व प्राणायाम को नियमित रूप से करने से मधुमेह नियंत्रण में रहती है।
आहार संयम: मधुमेह के रोगियों को अपने आहार में निम्न चीजों का प्रयोग करना चाहिए:
फल: संतरे, सेब(कम मात्रा में), बादाम, पपीता, तरबूज, बेर, अमरुद। केले, अंगूर, आम, चीकू बहुत कम मात्रा में खाना चाहिए
दूध: पतला क्रीम निकला हुआ दूध
सब्जियां: सभी सब्जियां वसा रहित या कम वसा वाली होती हैं । इनको अधिक मात्रा में बिना तले, उबली हुई या हलके सा छौंकी हुई प्रयोग में लेनी चाहिए ।
साथ में अंकुरित दालें प्रयोग करना चाहिए । मीठे, वसायुक्त चिकने घी, तेल में तले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए ।
परहेज : मधुमेह रोगियों को निम्न चीजों को प्रयोग में नहीं लेनी चाहिए:
१। सभी प्रकार से मिठाइयां, चॉकलेट आइसक्रीम
२। शहद किसी भी प्रकार से
३। कोल्ड ड्रिंक, मीठे पेय
४। क्रीम युक्त दूध, मक्खन
५। वसा तेल युक्त तली भुनी चीजें
६। बहुत अधिक शर्करा युक्ता फल और उनके रस
७। आलू, कार्बोहाइड्रेट की अधिकता वाली चीजें जैसे चावल

भोजन के नियम: मधुमेह के रोगियों को भोजन के नियम पालन करने चाहिए:
१। नियमित समय पर भोजन लेना चाहिए
२। भूख से थोड़ा कम भोजन लेना चाहिए
३। ३ बार अधिक मात्रा में खाने की जगह ५-६ बार थोड़ा थोड़ा खाना चाहिए
४| खाली पेट नहीं रहेना चाहिए
५| अधिक मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए
६। भोजन में नमक की कम मात्रा पूरी करना के लिए दाल चीनी, जीरा, पुदीना, धनिया, लहसुन का प्रयोग करना चाहिए।
७। अगर उच्च रक्तचाप के कारण sodium का परहेज हो तो पालक, मटर और गाजर का सेवन नहीं करना चाहिए।

प्राकृतिक चिकित्सा:
मधुमेह के नियंत्रण में बहुत सी प्राकृतिक फल, सब्जियां गुणकारी होती हैं । कुछ अनुभूत प्रयोग निम्न प्रकार हैं:
करेला:
१। करेले (Bitter Gourd) का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए बहुत हितकारी होता है ।
२। करेले के सेवन से शर्करा के स्तर में कमी आती है ।
३। करेले के सेवन से रक्त शुद्ध होता है, संक्रमण से रक्षा होती है, त्वचा रोग दूर होती है

मेथी:
१। मेथी शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में बहुत लाभकारी होती है ।
२। मेथी की २.५ से ३ ग्राम मात्रा दो बार सेवन करने से तीन महीने में अच्छे परिणाम मिलते हैं ।

भिन्डी: भिन्डी का मधुमेह के लिए बहुत अनुभूत प्रयोग है जिससे बहुत लोगों को लाभ हुआ है:
चार भिन्डी ले कर उसके दोनों सिरे काट दे ।
फिर उन्हें बीच से ऐसा चीरा लगायें की उसके तो तुकडे न होने पायें
अब इनको एक ग्लास पानी में डूबा दे
शाम को दुबयें और शुबह इस पानी को भिन्डी निकाल के पी ले । तीन दिन तक कर के फिर सातवें दिन ब्लड टेस्ट कराएँ । अगर नोर्मल न हो तो फिर ३ दिन करे ।
यह बहुत अनभूत प्रयोग है ।

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